वाराणसी दुनिया की तमाम अक्वामो मिलल का अपना एक मखसूस मआशरती निज़ाम और अपनी एक मनफरिद तहज़ीब होती है। जिस के ज़रिए उस की कौमी शिनाख्त और मिल्ली तशख्खुस काएम रहता है और उस का मआशरा शिकस्तो रीख़्त और एख़्लाकी इनहेतात व इजतमायी व शख़्सी नुक्सानात से बचा रहता है और दूसरी तहज़ीबों में जज़्ब होने से महफूज़ रहता है, अलबत्ता दीगर अकवाम व मज़ाहिब के मआशरती आईन बिलओमूम खुद उन के वज़ाकरदा आदात और रसूमात पर मुशतमिल होते हैं जबकि मुसलमानों के तज़िीबी व जमद्दनी और मआशरती उसूल ऐसे तरीके पर मुरत्तब किए जाते है जो शरीअत से मतसादम नहीं होते, और अशया में असल इबाहत है।

मौजूदह समाजी और मआशरती सूरतेहाल किसी भी साहबे बसीरत से मख्फी नहीं है। शादी ब्याह, वलीमा और दीगर तकरीबात में जो फुजूल इख़राजात हो रहे हैं उनकी समाजी निज़ाम के तहत रोक थाम निहायत ज़रुरी है गैरज़रुरी खर्च से बचने के वास्ते ये चंद निकाती दस्तूरुल अमल बइत्तेफाके राय असहाब हल्लो अक़्द तैयार किया किया गया है। जिस की पाबंदी आज तारीख यकुम (1) शव्वालुल मुकर्रम 1446 हि० मुताबिक 31 मार्च 2025 से मआशरा व समाज के हर फर्द पर लाज़िम व ज़रुरी है। जमनी निकात दर्ज जेल है :-

(1) निसबत (मंगनी व पक्की): रस्म मंगनी की तकरीब को मुख़्तसर करने की कोशिश की जाए, इस मौके से ज़्यादा नक़्द ग्यारह सौ रुपये (1100) दिए जाएँ और दो किलो मीठा पर

पर बहुत ज़्यादा सामानों का लेन-देन न करके लड़का या लड़की को ज्यादा

इकतेफा किया जाए।

(2) दिन तारीख का तआयुन शादी की तारीख मुताअयन करते वक़्त सादगी का लिहाज़ रखा जाए।

(3) रस्म पगड़ी :- बेजा रस्म से बचते हुए रस्म पगड़ी काएम रहेगी।

नोट :- मेंहदी के नाम पर आज पीले रंग के लिबास और बहुत सारी गैर मुनासिब रसूमात चल पड़ी हैं उन सब

पर पाबंदी आएद की जाती है।

(4) बारात :- लड़की वाले अपनी हैसियत के मुताबिक बारात बुलाएँ लेकिन बारातियों की तादाद पचास (50) अफराद से ज़ाएद न हो, वाज़ेह हो कि कम की कोई तादाद नहीं है और बारात नेहायत सादगी और वकार के साथ निकाली जाए यानि मुनकिरात व ममनूआत से यकसर पाक हो।(5) निकाह :- निकाह लड़की वाले अपनी सहूलत के मददे नज़र मस्जिद या लड़का व लड़की के घर या अपनी किसी भी सहूलत की जगह कर सकते हैं और निकाह की पढ़वायी और हक पद मजलिसे निकाह में अदा किया जाए।

नोट :- निकाह ख़्वानी का हदया पाँच सौ (500) रुपये से कम न हो। अगर कोई साहबे हैसियत मज़ीद पेश करना चाहे तो कर सकता है।

(6) मेहर :- मेहर वाजिब है। हस्ब साबिक एक सौ एक (101) ग्राम चाँदी बरकरार रहेगी। अगर कोई शख़्स इस की इस्तेताअत नहीं रखता तो उससे भी कम मुतअय्यन कर सकता है, लेकिन 31 ग्राम से कम नहीं होनी चाहिए। क्योंकि हदीस शरीफ की रोशनी में इमामे आज़म अबू हनीफा रहमतुल्लाह अलैह के नज़दीक दस दिरहम से कम मेहर नहीं जो मौजूदा वज़न के ऐतबार से तक्रीबन 31 ग्राम चाँदी होती है। अगर फीकैन एक सौ एक (101) ग्राम या उससे जाएद मुतअय्यन कर सकते हैं, कोशिश की जाए कि फिलफेर अदा कर दी जाए।

(7) वलीमा :- वलीमा सुन्नत है, ऐतदाल व मयानारवी के साथ इस सुन्नत का ऐहतमाम किया जाए।

(8) डाल :- इस्लाम ने नुमाइश व रेयाकारी से बड़ी सख़्ती से मना किया है। लेहाज़ा लड़के की जानिब से दी जाने वाली डाल में मयानावरी बरती जाए जिस में ज़्यादा से ज़्यादा (3) तीन जोड़े कपड़े से (7) सात जोड़े कपड़े मय सामान ज़ेबाइश दिए जाएँ। और लड़की (दुल्हन) के घर से उसको (3) तीन

जोड़े से (5) पाँच जोड़े मय नकाब दिए जाएँ।

नोट :- इन तयशुदा निकाल और ज़ाबते पर अपने अपने मुहल्ले का तमाम सरदारान साहेबान व ज़िम्मेदार

हज़रात खुद अमल करें और करायें। और उलेमा कराम व आइम्मा मसाजिद से गुज़ारिश है कि इस ज़ाबता

का वो भी ऐलान करें, और कौम को इस पर अमल की तलकीन करें।

बुनकर पंचायती कमेटी चौदहों, चक व पाँचहों

जनाब सरदार हाफ़िज़ एखलाक अहमद साहब (सरबराह बुनकर तंज़ीम चक, कटीली मैदान, कच्ची बाग) 3
. जनाब सरदार मुहम्मद आसिफ साहब (सरबराह बुनकर बिरादराना तंज़ीम पाँचहो, छित्तनपुरा)
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जनाब सरदार मुहम्मद असलम साहब (सरबराह मरकज़ी बुनकर पंचायत चौदहों, हँसतले)

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