रिपोर्टर रजनीश कुमार

औरैया, 14 सितंबर 2023 –

राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत चल रहे कुष्ठ रोगी खोज एवं नियमित निगरानी अभियान में आठ नए कुष्ठ रोगी मिले हैं। इन मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है। पूरे सितंबर माह चलने वाले इस अभियान में 14 दिन में अब तक लगभग 3.79 लाख लोगों की स्क्रीनिंग में 313 संभावित मरीजों की पहचान की गयी है। वर्तमान में जनपद में 89 कुष्ठ रोगियों का इलाज चल रहा है। यह जानकारी जिला कुष्ठ रोग अधिकारी (डीएलओ) डॉ अजय कुमार मिश्रा ने दी।

जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि कुष्ठ रोग छूत की बीमारी नहीं है। कुष्ठ रोगियों से भेदभाव न करें। यह आम रोगों की तरह ही है, जो मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) से ठीक हो जाता है। लेकिन समय पर इलाज न किया जाए तो यह बीमारी बड़ा रूप भी ले सकती है। इसी उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर कुष्ठ रोगियों को खोजने का काम कर रही है । क्षेत्रवासी स्वास्थ्य विभाग की टीम का सहयोग करें। 30 सितंबर तक चलने वाले इस अभियान के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर संभावित कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर रही है । उनकी पहचान कर तत्काल प्रभाव से उपचार उपलब्ध कराए जाने के साथ ही कुष्ठ रोग के बारे में समुदाय को जागरूक किया जा रहा है ।

उप जिला कुष्ठरोग अधिकारी डॉ अशोक कुमार राय ने बताया कि कुष्ठ रोग, जिसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह बैसिलस माइक्रो बैक्टीरियम लेप्राई के जरिए फैलता है। हवा में यह बैक्टीरिया किसी बीमार व्यक्ति से ही आते हैं। यह एक संक्रामक रोग है। यह उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (एनटीडी) की श्रेणी में आता है। यह छुआछूत की बीमारी बिल्कुल नहीं है। यह रोग किसी कुष्ठ रोगी के साथ बात करने या उसके बगल में बैठने, या छूने से नहीं फैलता है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग मुख्य रूप से चमड़ी एवं तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है। यह रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और कुछ वर्षों में पूरी तरह से कुष्ठ रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं। यदि शुरुआत में ही रोग का पता चल जाए और उसका समय से उपचार शुरू कर दिया जाए तो रोगी को दिव्यांगता से बचाया जा सकता है। वर्तमान में औरैया का बैसिलस माइक्रो बैक्टीरियम लेप्राई रेट एक प्रतिशत से भी कम है।

उन्होंने बताया कि घर-घर जाने वाली टीम के द्वारा इन लक्षणों के आधार पर कुष्ठ रोगी की पहचान की जा रही है।
• त्वचा के रंग मे कोई भी परिवर्तन (त्वचा पर लाल रंग या फीके रंग का धब्बा) साथ ही उसमें पूर्ण रूप से सुन्नपन अथवा सुन्नपन का अहसास होता है।
• चमकीली व तैलीय त्वचा।

  • कर्ण पल्लव का मोटा होना कर्ण पल्लव पर गांठ/त्वचा पर गांठ
    • नेत्रों को बंद करने में दिक्कत या उससे पानी आना |
    • भौहों का खत्म होना।
    • हाथों में घाव या दर्द रहित घाव अथवा हथेली पर छाले
    • कमीज या जैकेट के बटन बंद करने में असमर्थता। • हाथ या पैर की उंगलियां का मुड़ना ।
    • फुट ड्रॉप अथवा चलते समय पैर का घिसटना ।

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