महराजगंज। पीएम आवास दिलाने के नाम पर एक दिव्यांग शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि ग्राम प्रधान अनीता देवी के पति कमलेश गुप्ता और कुछ सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जीलाभार्थियों को आवास योजना का पैसा दिया गया, जबकि असली जरूरतमंद आज भी अपने मकान के लिए दफ्तरों के चक्कर काट कर रहे हैं।शिकायतकर्ता के मुताबिक वर्ष 2023 में ग्राम हरखोड़ा में 86 मकानों की शासन से स्वीकृति मिली। इस दौरान 155 लोगों ने आवेदन किया, लेकिन लाभ सिर्फ अपात्रों को ही मिला। जब इस मामले की शिकायत मुख्य विकास अधिकारी से की गई, तो जांच में पाया गया कि धनराशि मिलने के बावजूद मकानों का निर्माण नहीं हुआ।इसके बाद जिला कृषि अधिकारी से दोबारा जांच कराई गई,जिसमें चार और अपात्र लोगों के नाम सामने आए। जबकि शिकायतकर्ता ने 9 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, तो केवल 4 को ही अपात्र घोषित किया गया।जब शिकायतकर्ता ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, तो उसके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकियां मिलने लगीं।
आवास दिलाने को लेकर क्या कहा प्रधानपति ने-
पीड़िता के अनुसार 31 मई 2024 को शाम 7 बजे ग्राम प्रधानपति कमलेश गुप्ता उसके घर पहुंचा और उसकी पत्नी से अवैध संबंध बनाने का दबाव डाला। प्रधानपति कमलेश गुप्ता ने उसकी पत्नी से कहा,”बहुत दूर-दूर रहती हो मुझसे शारीरिक संबंध बना लो, तुम्हारा
मकान भी बनवा दूंगा और पैसा भी नहीं लूंगा।” पत्नी के विरोध करने पर प्रधानपति ने धमकी दी कि “तुम्हारा पति अपाहिज है।तुम्हें झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भिजवा देंगे।” शिकायतकर्ता के अनुसार प्रधानपति ने मनरेगा के मजदूरों को भेजकर शिकायतकर्ता और उसकी पत्नी के साथ मारपीट की।पीड़ित ने घटना की शिकायत थाना सिंदुरिया में की।लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद पुलिस अधीक्षक,महराजगंज को लिखित शिकायत की।

न्यायालय के आदेश पर दर्ज हुआ मुकदमा
जब न्याय नहीं मिला, तो शिकायतकर्ता ने न्यायालय में TOP156 (3) के तहत आवेदन दिया। इसके बाद न्यायलय के आदेश पर थाना सिंदुरिया में एफआईआर दर्ज की गई।
फिलहाल सिंदुरिया पुलिस ने ग्राम प्रधान अनीता देवी और उसके पति कमलेश गुप्ता और ग्राम सचिव अखिलेश द्विवेदी सहित अन्य लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर जांच में जुट गई है।आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 323 ( मारपीट),354 (महिला की लज्जा भंग करने का प्रयास), 420(धोखाधड़ी), 506 (आपराधिक धमकी) और दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 की धारा 92 (a) एवं 92 (b) के तहत मुकदमापंजीकृत किया गया।