
गौरा और शंकर के गौने के लिए सजने लगी पालकी।
सोमवार को होगा माता गौरा का गौना।
विनोद बना रहे राजसी वस्त्र और पप्पू सजा रहे पालकी।
रोहित सेठ

वाराणसी। रंगभरी (अमला) एकादशी पर बाबा विश्वनाथ, माता पार्वती संग प्रथमेश की चल प्रतिमा की पालकी यात्रा के निमित्त प्रयोग होने वाले की शतक पुरानी पालकी की साफ सफाई और मरम्मत का शुरू हो गया। इस वर्ष रंगभरी एकादशी का उत्सव 10 मार्च को मनाया जाएगा।
टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर बाबा की पारंपरिक पालकी की साफ सफाई किया गया। एक ओर पप्पु सजा रहे है बाबा की पालकी दुसरी ओर दशाश्वमेध में महादेव के राजसी वस्त्र विनोद मास्टर तैयार कर रहे हैं। यह दायित्व निभाने वाले पप्पू व टेलर मास्टर विनोद अपने परिवार की तीसरी व चौथे पीढ़ी के सदस्य हैं। रंगभरी एकादशी के अवसर होने वाले चार दिवसीय लोकाचार का शुरूआत 7 मार्च शुक्रवार से गौरा के तेल-हल्दी से शुरू हो जाएगी। महाशिवरात्रि पर बाबा की चल प्रतिमा का शिव-पार्वती विवाह विश्वनाथ मंदिर के महंत आवास पर लोकपरंपरानुसार किया गया था। महंत पुत्र वाचस्पति तिवारी ने बताया। गौरा के गौना के लिए महा शिवरात्री के बाद महंत आवास गौरा-सदनिका में परिवर्तित हो जाता है। 7 मार्च को महंत आवास पर माता गौरा की प्रतिमा के पूजन के बाद गौना की हल्दी होगी। गौनहारिनों की टोली मंगल गीत गाएगी। गौना के अवसर पर बाबा विश्वनाथ की प्रतिमा को परंपरागत खादी से बनी राजसी पोशाक धारण करेंगे।
वाचस्पति ने बताया गौरा के गौना में प्रयुक्त होने वाले सैकड़ो वर्ष प्राचीन रजत शिवाला और पालकी की सफाई का कार्य काशी के ही काष्ठ कलाकार पप्पू जी द्वारा पुरा कर लिया गया है। रंगभरी एकादशी के सोमवार दिन परंपरानुसार यही रजत शिवाला श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर काशी सप्तर्षि आरती होगी। बाबा व गौरा संग प्रथमेश की पालकी गौरा सदनिका (महंत-आवास) टेढ़ीनीम से काशीवासी मंदिर लेकर जायेगे।