सुब्रमण्यम भारती की हर सांस माँ भारती की सेवा के लिए समर्पित थी-डॉ.जयंती मुरली।

नारा लेखन, पोस्टर पेंटिंग एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हुई।

रोहित सेठ

वाराणसी, नमो घाट पर आयोजित, काशी तमिल संगमम् 3.0 में ऋषि अगस्त्य एवं विकसित भारत विषय पर केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लगायी गयी चित्र प्रदर्शनी में चतुर्थ दिवस मंगलवार को विभिन्न स्कूलों से आये विद्यार्थियों के मध्य नारा लेखन,पोस्टर पेंटिंग एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हुई l सीबीसी लखनऊ के निदेशक मनोज कुमार वर्मा, पी आई बी चेन्नई के अरुण कुमार एवं डॉ.जयंती मुरली ने विभिन्न प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया l
महाकवि सुब्रमण्यम भारती के व्यक्तित्व पर हुई चर्चा में भारती जी की पोती डॉ.जयंती मुरली ने महाकवि भारती के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुब्रह्मण्य भारती जी ऐसे महान मनीषी थे, जो देश की आवश्यकताओं को देखते हुए काम करते थे। उनका विजन व्यापक था। उन्होंने हर उस दिशा में काम किया, जिसकी जरूरत उस कालखंड में देश को थी। भारती जी केवल तमिलनाडु और तमिल भाषा की ही धरोहर नहीं हैं। वो एक ऐसे विचारक थे, जिनकी हर सांस माँ भारती की सेवा के लिए समर्पित थी।
भारत का उत्कर्ष, भारत का गौरव उनका सपना था। काशी से उनका रिश्ता, काशी में बिताया गया उनका समय,काशी की विरासत का एक हिस्सा बन चुका है। वो काशी में ज्ञान प्राप्त करने आए और यहीं के होकर रह गए।
डॉ. मुरली ने बताया कि भारती जी अपनी बहुत सी रचनाएँ गंगा  के तट पर काशी में रहते हुए लिखी थीं।
केवल 39 वर्ष के जीवन में भारती जी ने हमें बहुत कुछ दिया है, वे एक ओर आध्यात्म के साधक भी थे, दूसरी ओर वो आधुनिकता के समर्थक भी थे। उनकी रचनाओं में प्रकृति के लिए प्यार भी दिखता है और बेहतर भविष्य की प्रेरणा भी दिखती है।डॉ. जयंती ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान उन्होंने आज़ादी को केवल मांगा नहीं, बल्कि भारत के जन-मानस को आज़ाद होने के लिए झकझोरा l पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उन्होंने अद्भुत कार्य किए हैं। महाकवि भारती युवा और महिला सशक्तिकरण के प्रबल समर्थक थे।

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