श्रीमद्भागवत कथा में श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह प्रसंग ने श्रद्धालुओं को भावविभोर किया।

रोहित सेठ

वाराणसी शिवपुर फलाहारी बाबा आश्रम में चल रहे नौ दिवसीय श्रीश्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ में श्रद्धालु यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर सुख समृद्धि की कामना कर रहे है। वहीं शाम को शिवपुर रामलीला मैदान चल रहा श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन श्रीमद भागवत कथा सुनने के लिए पहुंची श्रद्धालुओं की भीड़ से कथा स्थल भीड़ भरी थी। कथा वाचिका शिवांगी किशोरी ने कथा प्रसंग के क्रम में श्रीकृष्ण और रुकमणी के विवाह की व्याख्या कर श्रोताओं को भावमुग्ध कर दिया। श्रीमद भागवत कथा अमृत वर्षा के रूप में श्रद्धालुओं के अंतःकरण को भींगो कर रसरंग में डूबो रही थी। भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीला और महारास के वर्णन से सुमधुरित कथा श्रवण से सभी भावविभोर हो उठे। कथा वाचिका ने बताया कि श्रीकृष्ण लीलामृत के महारास में जीवात्मा का परमात्मा से मिलन हुआ। उन्होंने कहा कि जीव और परमात्मा तत्व ब्रह्म के मिलन को ही महारास कहते है।

जब जीव में अभिमान आता है तब भगवान से वह दूर हो जाता है, लेकिन जब कोई भगवान के अनुराग के विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है, उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण रूक्मिणी के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ, लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। रुक्मिणी स्वयं साक्षात लक्ष्मी हैं और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती। कथा उपस्थित मुख्य यजमान विनोद कुमार दूबे, मंहत रामदास त्यागी, प्रचार मंत्री कमलेश केशरी, आचार्य जितेन्द्र तिवारी रहे।

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