🔵इन्द्र लाल रॉय का जन्म 2 दिसंबर 1898 को कलकत्ता , ब्रिटिश भारत में हुआ

जिस जांबाज ने “13 दिन, 170 घंटे की उड़ान और दुश्मन के 10 हवाई जहाज़ मार गिराए.”
19 साल की उम्र में शहीद होने वाले पायलट इंद्र लाल रॉय की बहादुरी और कुशलता को जानने के लिए बस ये एक लाइन के रिकॉर्ड काफी हैं. पहले विश्व युद्ध में रॉयल एयर फोर्स के लिए लड़ने वाले रॉय एकमात्र ‘भारतीय फ्लाइंग-एस’ हैं. फ्लाइंग-एस वर्ल्ड-वॉर वन के उन पायलट्स को कहा जाता था जो हवाई फाइट्स में कई हवाई जहाज मार गिराते थे. कोलकाता में पैदा हुए रॉय एक बड़ी पढ़े-लिखे परिवार से आते थे. पिताजी बैरिस्टर थे और बड़े भाई ‘परेश लाल रॉय’ को ‘फादर ऑफ इंडियन बॉक्सिंग’ कहा जाता है. नाना देश के पहले ऐलोपेथिक डॉक्टर्स में से एक थे. भांजे सुब्रोतो मुखर्जी पहले भारतीय चीफ ऑफ एयर स्टाफ बने।


पहले विश्व युद्ध के समय रॉय लंदन के स्कूल में पढ़ रहे थे. रॉयल एयर फोर्स ने उनकी एप्लिकेशन पहले खराब आईसाइट की वजह से नकार दी. बाद में रॉय ने एक दूसरे डॉक्टर से रिपोर्ट लगवाई जिसके बाद उन्हें फ्लाइंग का लाइसेंस मिल गया. ज्वाइनिंग के 2 महीने बाद ही रॉय के प्लेन को क्रैश लैंड करना पड़ा जिसमें वे बुरी तरह ज़ख्मी हुए. मगर 6 महीने के समय में ही फिटनेस टेस्ट पास करके फ्लाइंग में वापस आ गए. फ्लाइंग पर वापस आते ही रॉय ने 13 दिन में 10 एयर क्राफ्ट मार गिराए।
जिनमें से 3 तो 4 घंटे की फ्लाइंग में ही मार गिराए. 18 जुलाई 1918 को रॉय को फ्लाइंग एस का खिताब मिला. इसके 4 दिन बाद ही 22 जुलाई 1918 (उम्र 19 वर्ष) रॉय को दुश्मन के कई जहाज़ों ने डॉग फाइट में घेर कर मार गिराया।
रॉय को फ्रांस के इस्टेवेलेस में दफनाया गया. रॉय को मरणोपरांत फ्लाइंग क्रॉस दिया गया. भारत सरकार ने भी रॉय के 100वें जन्मदिन पर एक डाक टिकट जारी किया है।

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