रिपोर्ट:राहुल राव
राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले का एक ऐसा गांव जोकि प्रतापगढ़ से केवल 20 किलोमीटर की दूरी पर है मुद्दे तो आपने बहुत सुने होंगे पर आज मुद्दा कुछ और है तो हम बता दें कि प्रतापगढ़ जिले का गांव बरोठा में शमशान नहीं होने के कारण यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तो ग्रामीण जन होते हैं परेशान । गांव के पास जमीन तो बहुत है पर शमशान घाट की कोई मूलभूत व्यवस्था नहीं कौन है इसका जिम्मेदार जहां गांव में प्रशासन की कई गुना जमीन है पर शमशान की कोई उचित व्यवस्था नहीं सब दूर-दूर तक बस झाड़ियां ही झाड़ियां है जहां व्यक्ति का अंतिम मोक्ष द्वार शमशान होता है ऐसे में बरोठा गांव में मोक्ष द्वार की कोई सुविधा नहीं ना तो कोई सड़क है और ना ही कोई पेयजल की व्यवस्था ऐसे में कोई कहीं भी अंतिम संस्कार करने को मजबूर मृत्यु होने के कारण जहां परिजन शोक में डूबे रहते हैं ।

वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों को अंतिम संस्कार करने की चिंता सताती रहती है बारिश के मौसम में कैसे होगा अंतिम संस्कार इन सारी समस्याओं के ऊपर कई सरकारें आई और गई पर ना तो कभी जनप्रतिनिधियों ने ध्यान दिया और ना ही खुद गांव बरोठा के सरपंच ने हम आपको फोटो में दिखाएंगे के यहां कैसे हो रहा अंतिम संस्कार ऊपर से हाई टेंशन लाइट के तार जा रहै।
यदि चिता से आसपास की झाड़ियां लगी तो पूरे गांव को ले डूब सकती है इसका जिम्मेदार कौन हैl खुद गांव के लोग या प्रशासन दूर-दूर तक कहीं कोई पेड़ पौधे नहीं दिखेंगे आपको ऐसे में प्रतापगढ़ जिले के नेताओं को एक बार गांव बरोठा के मुक्तिधाम लिए भी ध्यान देना होगा। यह सारी बातें अंतिम संस्कार में जब एक पत्रकार साथी पहुंचे तो उन्हें उन्हें ग्रामीणों द्वारा जानकारी लगी कि यहां तो कोई व्यवस्थित मुक्तिधाम ही नहीं है। और है तो फिर चार-चार हैं और वह भी कोई ठीक नहीं। इसका क्या कारण है गांव बरोठा में एक ही मुक्तिधाम होना चाहिए और वह ठीक होना चाहिए।
